TOP 30 Latest महफ़िल शायरी || Mehfil Shayari || Mehfil Shayari Hindi
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महफ़िल शायरी -
Mehfil Shayari
जब भी हमसफर चुनता हूं जिंदगी बिताने के लिए,
वह मुझसे दूर हो जाती है मुझे तड़पाने के लिए,
महफिल की जान मत समझना मुझे,
मैं यूं ही मुस्कुराता हूं दिल के जख्म छुपाने के लिए।
क्यों यह चेहरा खुशी से हंस नहीं पाता,
वह चली गई फिर भी यह दिल उसे
किसी और के साथ देख नहीं पाता,
महफिलों में तो कई लोग हमारे दीवाने हो जाते हैं,
पर यह दिल उसकी जगह किसी और को दे नहीं पाता।
ए सावन तू बारिश को अपने से दूर क्यों कर रहा है,
ना हल्की सी रिमझिम ना मौसम सुहाना कर रहा है,
लगता है तेरी घटा तुझसे जुदा हो गई,
क्योंकि तू उसे दगा देकर कहीं और इश्क कर रहा है।
आंखें नम दिल हैरान है,
मेरी महबूबा किसी और के साथ हैं,
इस महफिल में बड़ी शान है,
शायद मैं नहीं वही उसका सच्चा प्यार है।
महफिल-ए-इश्क में बुला तो क्या बात हो,
दौलत नहीं मोहब्बत लूटा तो क्या बात हो,
नशा शराब से नहीं करना मुझे,
तू आंखों से नशा चढ़ा तो क्या बात हो।
मेरे महबूब ने महफिल में बुलाया है जाऊं कि नहीं,
उसे किसी के साथ देख पाऊं या नहीं,
महफिल-ए-महबूब है तमीज से जाना है,
जो दिल के अल्फाज उसी पर है उसे सुनाओ कि नहीं।
उसके बिना दिल को सुकून नहीं,
वो इश्क है मेरा जुनून नहीं,
उसके बिना महफिल में जाना नहीं,
वह मेरी अपनी है कोई और नहीं
Mehfil Shayari Hindi
शराब पीने से क्या होता है,
नशा उतर ना जाए इसलिए बार-बार पीना होता है,
सजी थी उसकी किसी और के साथ शादी की महफिल,
उसको भुलाने के लिए कई बार शराब को पीना होता है।
उसके पास होने के अहसास से दिल खुश रहता,
खो ना दूं उसे इस ख्याल से दिल डरता,
कोई आया और उसे हसीन महफिल सजा कर ले गया,
वो पैसे पर मरती है शायद मुझे पता होता।
हमारी पहली मुलाकात का पहला वादा था,
एक दूसरे से शादी करने का इरादा था,
उसने कहा मुझसे अब मेरी पसंद बदल गई,
और कहती है उसने मेरे लिए महफिल सजाई है,
तुम्हारी वजह से मुझे जाने में देर हो गई।
हम पीते नहीं थे पर उसकी यादों में पीने लगे,
हमें पहले किसी की तमन्ना नहीं थी पर
अब हम उसके ख्यालों में जीने लगे,
जाने कितना कुछ बदल गया मेरी जिंदगी में,
पहले लोग हमें शरीफ और अब
उसकी वजह से लोग मुझे शराबी कहने लगे।
उसकी चाहत में हम होश खो बैठे,
आशिक से शराबी का ताज पहन बैठे,
वह चली गई मुझे धोखा देकर,
इसलिए हम हाथ में गुलाब छोड़
शराब की बोतल पकड़ बैठे ।
जीना चाहा था आपका हाथ अपने हाथ में लेकर,
अपनी जिंदगी बितानी थी आपके साथ रहकर,
महफिलों में अक्सर गमों को छुपाकर मुस्कुराना पड़ता है,
और प्यार निभाने के लिए हद से गुजर जाना पड़ता है।
मेरा प्यार ही मुझे अनजान कर देता है,
बेवफाई का हर वक्त इनाम देता है,
बेशक हर दिन महफिल सजती है,
पर हर दिन मेरी अरमानों की एक चिता जलती है।
Shayari Ki Mahfil
वादा है मेरा प्यार से प्यार का,
दिल झूम उठता है आपके दिलदार का,
महफिल मैंने बहुत खूबसूरत सजाई थी,
क्योंकि यह लाजमी था क्योंकि मेरे यार की सगाई थी।
तुझे प्यार से देखता हूं और देखता रह जाता हूं,
फिर सोचता हूं क्या यह वही चेहरा है
जिस पर मैं जान लुटाता हूं,
अक्सर हंसते देखा है महफिल में तुझे,
बस तेरी मुस्कुराहट को देखकर सभी गम भूल जाता हूं।
उन्हें भूल कर हम भूल जाने लगे,
पर उनके वादे हमें हद से ज्यादा सताने लगे,
एक बार कहा तो होता मैं चमकती महफिल सजा देता,
पैसों की क्या बात तेरे सजदे में चांद तारे जमी पर ला देता।
तेरे प्यार में मदहोश होये रहते हैं,
तेरी यादों में खोए रहते हैं,
शायद तेरे मिलने की गलत उम्मीद लगाई थी,
महफिलों में अक्सर मिलने के बाद
मुकद्दर में लिखी जुदाई थी।
शराब पीकर हम ग़मों को छुपाया करते हैं,
जिनसे बताना है उसी से नजरें चुराया करते हैं,
क्या करें उन्हें बता कर हम अपने गम
किसी और से बांट लिया करते हैं,
अपने प्यार के साथ महफिलों में रंग जमाया करते हैं।
प्यार करो हीर और रांझा जैसा,
बने संजोग और हो मिलन राम सीता जैसा,
आप जाए जिस महफिल में जान आ जाए,
जो भी देखे आपको वाह क्या जोड़ी है उनके मुंह से निकल जाए।
ऐसी पी शराब की मदहोश हो गए,
उनकी यादों में मेरे होश खो गए,
अब हंसती महफिल भी मुझे दर्द दे जाती है,
इसलिए मुझे तन्हाई पसंद आती हैं।
कभी पीता नहीं शराब अब पीने लगा हूं,
कभी जीत आना था उनके बिना अब जीने लगा हूं,
क्या करें महफिल अपनों ने बड़े प्यार से सजाई थी,
इन्हें खुश देख मेरे दिल की कली मुस्कुराई थी।
अब छोड़ गए तो याद क्यों आते हो,
दिल के जख्म को ताजा क्यों कर जाते हो,
खुश रहो अपनी महफिल में,
हमारे जैसे काफिरों की नगरी में क्यों आते हो।
मेरी तुमको देखकर सांसे चलती हैं,
दिल की धड़कने तुम्हारे लिए धड़कती हूं,
अब हमने महफिलों में जाना छोड़ दिया,
क्योंकि अब मेरे साथ वो नहीं चलती।
Mehfil Shayari
पीना और पिलाना अच्छा नहीं होता,
दर्द-ए-दिल को सताना अच्छा नहीं होता,
महफिलों में मुस्कुराए दिल थाम कर,
क्योंकि आपके इंतजार में बैठा हूं दिल हार कर।
रूठना और मनाना दस्तूर है जिंदगी का,
प्यार में यह किस्सा मशहूर है जिंदगी का,
दिल लगाकर दिल को तन्हा छोड़ जाना,
यह कसूर है सच्चे प्यार में दिल लगाने का।
कभी हमारे एक आंसू पर चार आंसू बहाते थे,
उनके दिल दहल जाते और परेशान हो जाते थे,
और अब तो मर भी जाए तो फर्क नहीं पड़ता,
चंद पलों में महबूब का प्यार बदलता।
दिल के अकेलेपन को महफिल बना लेते हैं,
दर्द जब हद से ज्यादा होता है तो नए अरमा बना लेते हैं,
कभी दिल किसी से ना लगे यही सोच में रहते हैं,
आज अगर दिल बिखरा है तो संभालते भी रहते हैं।
जाम हाथों में लेकर मुस्कुराने लगे,
अपने गमों को हंसी बनाने लगे,
महफिलों में आने जाने लगे,
मोहब्बत से अपनी दुनिया अलग बसाने लगे।
अब फर्क नहीं पड़ता लोगों के तानों से,
मुझे अब किस बात से डर है,
मुझे मेरे महबूब ने कर दिया दुनिया के हवाले,
याद नहीं कहा मेरा घर और कहां है घरवाले।
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